#रमजान के रोजे शुरुआत हुई है। आज हमने भी आज एक रोजा रखने की कोशिश की। रोजा रखते हुए मुस्लिम समुदाय आध्यात्मिक उन्नति का कार्य इस माह में करते हैं।
आज सहरी का लखनऊ का समय सुबह 4.40 का था, जल्दी उठकर फ्रेश हुआ और केला,दही, खजूर, एपल खाया। बाद में थोड़ी देर तक सो गया था।
सपने आना शुरू हो गया कि मैं कुछ खा रहा हूँ। नींद से उठा तो हमने महसूस किया कि हमें उसी बात के सपने देखते हैं जो हमारे पास नहीं है। और यह भूख हमें उन गरीब मजलूम लोगों की याद दिलाती हैं।
मेरा जन्म हिन्दू (ब्राह्मण धर्म) में हुआ है। बचपन में कभी महाशिवरात्रि, शनिवार या कोई उपवास रखने की आदत थी। लेकिन उस उपवास में हम सब्जी रोटी नहीं खाते लेकिन साबूदाना खिचड़ी, आलू या फल खाते थे। भरपेट दिनभर चरते थे। कभी कभी तो तबियत बिगड़ जाती थी।
जब बीएड करने पुसद (यवतमाल) गए थे वहां एक आंध्रप्रदेश के साथी थे, वह शनिवार को उपवास रखते थे और उस दिन सब्जी-रोटी खाते थे। हर जगह की रीत अलग अलग होती है।
उपवास यह शब्द पाली भाषा से उपोसत से आया है। गांधीजी नाम के महान व्यक्ति ने इस उपवास का उपयोग आमरण अनशन शुरू कर हमारे ही लोगों के अधिकार पूना पैक्ट से छीने थे, यह अलग विषय है।
बुद्ध के संघ के भिक्खु को भी खानपान की नियमावली थी, सारे भिक्खु दोपहर 12 बजे के बाद भोजन करते नहीं थे।
मैं वैसे दोपहर 1/ 2 बजे के बाद खाना खाने के बाद रात में खाना टालता हूँ। व्यायाम, घूमने से मैंने मेरा 95 किलो का वजन घटाकर 80 किलो तक लाने में कामयाब हुआ। इसमें कोई डाइट प्लान नहीं, सबकुछ खाता हूँ। लेकिन नियम से खाता हूँ।
हमारे परिवार में खेती थी। पिताजी नोकरी होने के बावजूद खेती करने का शौक पूरा करते थे। सब लोग जानते हैं कि नागपुर के संतरे प्रसिद्ध हैं लेकिन नागपुर के आसपड़ोस के जिलों में संतरे के बगीचे ज्यादा है।
संतरे के पौधे को कुछ समय पानी और खाद नहीं दिया जाता और जब थुप बढ़ने लगती तो पानी और खाद दिया जाता है। इस प्रक्रिया को तड़न (ताड़ना) कहते हैं। आयुर्वेद में इसे लंघन प्रक्रिया कहते हैं।
मुस्लिम समुदाय इसे अध्यात्म से जोड़ते होंगे, इसमें एक शरीर शास्त्र का विज्ञान भी है।
रमजान महीने की सभी मसावात पसंद मुस्लिम समुदाय को बधाई !