आस्ट्रेलिया में यूरोपियन विदेशी 1788 में बस गए थे।
विदेशी आस्ट्रेलियाई लोगों के बसने के पहले वहां के एबोरिजिनल और टॉरेस स्ट्रेट,आईलैंडर मूलनिवासी लगभग 49,000 साल पहले के हैं, इसका सबूत फ्लिंडर्स रेंजरों में पुरातत्वविदों द्वारा 125,000 साल पहले की संभावित सीम के साथ खोजा गया था।
वहां के मूलनिवासीयों की संख्या अनुमानित 5 लाख थी। चेचक, खसरा और तपेदिक जैसी यूरोपीय बीमारियों से होने वाली मौतों के तत्काल परिणाम सामने आए हैं।
आज वैश्विक कोरोना बीमारी विदेशी लोगों ने भारत में लाई गई है। यहां के मूलनिवासी को मारने का षड्यंत्र चल रहा है।
आस्ट्रेलिया में इसी कारण वहां के मूलनिवासी कोई अलग है। यह जानकारी यूरोपीय विदेशियों को मिल गई। उनके अस्तित्व पर धोका होने लगा तो उन मूलनिवासी लोगों के बच्चे चाइल्ड रिमूवल पॉलिसी ने 1869 से चुराने लगे। ताकि उनकी आबादी ना बढ़ सके।
1900 तक नाटकीय रूप से
मूलनिवासी की आबादी 93,000 तक गिर गई थी।इस नीति से भावनात्मक प्रतिशोध मूलनिवासी माता-पिता और बच्चों में होने लगा था।
1869 का विक्टोरियन आदिवासी संरक्षण अधिनियम माता-पिता से घृणा को दूर करने के लिए सबसे पहला कानून बनाया गया। वर्ष 1969 तक फिर भी 25 हजार बच्चे चोरी हो गए थे।
2007 में ऑस्ट्रेलिया में केविन रुड प्रधानमंत्री बनने के बाद स्टोल जनरेशन (चोरी की पीढ़ी) की राष्ट्रीय जांच हुवी। एक रिपोर्ट ने सिफारिश की कि प्रधान मंत्री मूलनिवासी लोगों से अपनी पीड़ा के लिए माफी मांगें।
2008 में केविन रुडने उन मूलनिवासी के स्टोल जनरेशन की माफी मांगी और उन मूलनिवासीयों के क्लोजिंग द गैप नामक एक सरकारी कार्यक्रम बाल मृत्यु दर कम करने,आदिवासी समुदाय के रोजगार, शिक्षा और आदिवासी लोगों को विकास के प्रवाह लाने की कोशिश जारी है।
विदेशी यूरेशियन की पोलखोल

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